राष्ट्रिय मानवाधिकारों के हनन में उत्तर प्रदेश में कम हुए केस : रंजन तोमर
Date posted: 28 February 2022
नोएडा: राष्ट्रिय मानवधिकार आयोग में साल दर साल दर्ज़ हुई शिकायतों का ब्यौरा चौंकाने वाला है , सन 2010 से अबतक प्रत्येक वर्ष और प्रत्येक राज्य में कितने केस दर्ज़ हुए इस सम्बन्धी जानकारी समाजसेवी एवं अधिवक्ता रंजन तोमर द्वारा मांगी गई थी। सन 2010 में जहाँ कुल 84312 मामले आयोग में दर्ज़ हुए उनमें से सबसे ज़्यादा 49751 उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए थे , जबकि दिल्ली दूसरे नंबर पर रही जहाँ 5902 केस दर्ज़ हुए , 2011 में कुल 93702 केस दर्ज़ हुए , जिनमें से 53919 उत्तर प्रदेश में और 7196 दिल्ली में दर्ज़ हुए , 2012 में यह संख्या 101010 रही जिसमें 45090 उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए और 8218 दिल्ली में , 2013 में 100112 केस दर्ज़ हुए |
46006 केस के साथ उत्तर प्रदेश फिर सबसे पहला प्रदेश रहा जबकि इस बार हरयाणा दूसरे नंबर पर आया जिसमें 9045 केस दर्ज़ हुए , 2014 में 111069 केस दर्ज़ हुए जिसमें से 50175 उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए और हरयाणा में 14045 , 2015 में कुल आंकड़ा 120607 रहा और उत्तर प्रदेश में 50316 केस दर्ज़ हुए जबकि 13078 केस के साथ हरयाणा दूसरे नंबर पर रहा , 2016 में 96627 केस दर्ज़ हुए और 44948 केस उत्तर प्रदेश में दर्ज़ हुए , इसी के साथ ही उत्तर प्रदेश में केस कम होने का सिलसिला भी शुरू हो गया , जबकि इसी वर्ष ओडिशा दूसरे नंबर पर आया जहाँ 9247 केस दर्ज़ हुए , 2017 में कुल 82006 केस दर्ज़ हुए और उत्तर प्रदेश में 39374 केस दर्ज़ हुए , दिल्ली दूसरे नंबर पर रहा जहाँ 5873 केस आये , 2018 में कुल 85949 केस आये और उत्तर प्रदेश में 39462 जबकि दिल्ली में 6343 केस आये , 2019 में कुल केस 76581 आये तो तो उत्तर प्रदेश में 35764 केस दर्ज़ हुए जबकि दिल्ली में 5884 केस पंजीकृत हुए , 2020 आते आते कुल केसों की संख्या 75063 ही रह गई जबकि उत्तर प्रदेश के केस मात्र 28579 ही आये , जबकि इस बार तमिल नाडु दूसरे नंबर पर रहा जहाँ 7689 केस आये , 2021 की अगर बात करें तो 74846 केस दर्ज़ हुए जिनमें से उत्तर प्रदेश में 28506 केस दर्ज़ हुए और दिल्ली में 5801 केस आये।
उत्तर प्रदेश में लगभग आधे हुए केस , देश भर में भी कम दर्ज़ हो रहे केस
उपरोक्त आंकड़ों से यह पता चलता है की जहाँ 2011 में अधिकतम केसों की संख्या उत्तर प्रदेश में 53919 तक पहुंच गई थी आज यानि 2021 में वह मात्र 28506 रह गई हैं , देश भर के आंकड़े भी जो एक समय 2012 से 2015 तक एक लाख से ऊपर जा चुके थे वह अब 74846 तक आ चुके हैं। इस जानकारी से कुछ सुखद पहलु सामने आये हैं तो कुछ चौंकाने वाले।
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