हिमांचल प्रदेश के साथ हुए परिवहन समझौते को मिली अन्तिम मंजूरी
Date posted: 2 April 2021
लखनऊ: प्रदेश सरकार ने अन्तर्राज्यीय परिवहन को बढ़ावा देने तथा आमजन की मांग के अनुरूप यात्रियों को सुगम यातायात की सुविधा उपलब्ध कराने के दृष्टिगत हिमांचल प्रदेश सरकार के साथ हुए पारस्परिक परिवहन समझौते को आज 01 अप्रैल, 2021 को अन्तिम रूप दे दिया है। इस समझौते से दोनों राज्यों के बीच आगामी 20 वर्षों तक परिवहन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया जा सकेगा। इससे प्रचालन को विनियमित, समन्वित और नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इससे दोनों राज्यों के आर्थिक विकास में मदद मिलेगी तथा आवागमन की दृष्टि से सड़क परिवहन के क्षेत्र में अप्रत्याशित वृद्धि भी होगी। इस समझौते के माध्यम से उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम तथा हिमांचल पथ परिवहन निगम की बसों के संचालन में आसानी होगी तथा लोगों को भी अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने में कोई समस्या नहीं आयेगी।
प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि दोनों राज्यों के मध्य 07 मई, 2019 को लखनऊ में मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 88 (5) के अन्तर्गत प्रारम्भिक पारस्परिक परिवहन समझौता हस्ताक्षरित किया गया था, जिसे आज दिनांक 01 अप्रैल, 2021 को इसी अधिनियम की धारा 88 (6) के अन्तर्गत इस समझौते को अन्तिम रूप दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब इस समझौते के अन्तर्गत आगामी 20 वर्षों तक दोनों राज्यों के बीच यातायात सुगम हो जायेगा। इस समझौते के अनुसार उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें 67 परमिट के साथ प्रतिदिन निर्धारित 19 मार्गों पर 48 फेरे लगाकर हिमांचल प्रदेश में 3594 किलोमीटर प्रतिदिन संचालित की जायेगी। इसी प्रकार हिमांचल पथ परिवहन निगम की बसें 70 परमिट के साथ प्रतिदिन निर्धारित 27 मार्गों पर 70 फेरे लगाकर उत्तर प्रदेश में 3238 किमी प्रतिदिन संचालित की जायेगी।
प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश व हिमांचल प्रदेश के मध्य पूर्व में भी 06 मई, 1985 को पारस्परिक परिवहन समझौता हुआ था। इस समझौते के अन्तर्गत उ0प्र0 राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों को निर्धारित 10 मार्गों पर प्रतिदिन 46 फेरे लगाकर हिमांचल प्रदेश में 2165 किलोमीटर संचालन की अनुमति थी। इसी प्रकार हिमांचल पथ परिवहन निगम की बसों को निर्धारित 11 मार्गों पर प्रतिदिन 22 फेरों के साथ उत्तर प्रदेश में 2142 किलोमीटर संचालन की अनुमति थी।
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