गरीबों के राशन को क्या साजिश के तहत सड़ाया गया,केजरीवाल जवाब दें: गुप्ता
Date posted: 14 June 2021
नई दिल्ली: प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार को राशन के लिए मिला लाखो टन आनाज सड़ गया क्योंकि इसे समय पर गरीबों मे बांटा नही गया। उन्होने कहा कि अब मुख्यमंत्री बताये कि गरीबो के राशन का आनाज इतनी बड़ी मात्रा मंे कैसे सड़ गया या इसे किसी साजिश के तहत सड़ाया गया ताकि शराब माफिया को फायदा पहुंचा कर कमाई की जा सके।
उन्होने केजरीवाल की मंशा और सोच पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार गरीबों के लिए काम करने का केवल दिखावा करती है। जबकि हकीकत यह है कि सरकार ने गरीबों के लिए मिले अनाज को भी बांटने की जगह सड़ा दिया गया। पिछले सात सालों में किसी भी गरीब का एक राशनकार्ड तक नहीं बना है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत दिल्ली के 72 लाख राशन कार्ड धारियों के लिए मिले 2 महीने का मुफ्त अनाज सड़ा दिया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मई और 5 जून तक दिल्ली को तय कोटे से अधिक 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा गया है जिसमें दिल्ली सरकार करीब 53,000 मीट्रिक टन अनाज ही अभी तक उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही जनता को बांट पाई है। और बाकी के अनाज को गोदाम में रखे-रखे सड़ा दिया। इसलिए उस सड़े अनाज का क्या करने वाले हैं यह पूरी दिल्ली जानना चाहती है।
आदेश गुप्ता ने कहा कि पिछले एक सालों से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिले 2 महीनों के राशन को वैसे ही रखे हुए केजरीवाल सरकार ने सड़ा दिया जिसपर हर महीने केंद्र सरकार 126 करोड़ की सब्सिडी खर्च करती है, लेकिन केजरीवाल सरकार के पास उसको बांटने तक पैसे नहीं है और वह मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना की बात कर रहे हैं। आज जिस अनाज को वो गोदामों में रखे हुए हैं, उनके ऊपर कीड़े चल रहे हैं जिसे ना तो जनता में बांटा जा सकता है और ना ही उसे जानवर ही खा सकते हैं। क्या इस अनाज को केजरीवाल शराब माफिया को देकर कमाई करना चाहते है। इसका जवाब उन्हें दिल्ली की जनता को देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अरविदं केजरीवाल गेहूं पर मात्र 2 रुपये प्रति किलो अनुदान देते हैं और केंद्र सरकार 23.73 रुपये प्रति किलो अनुदान देती है। चावल पर केजरीवाल मात्र 3 रुपये प्रति किलो अनुदान देते हैं और केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो अनुदान देती हैं। अगर केजरीवाल इसके अतिरिक्त भी राशन बांटना चाहते हैं, तो इसके लिए वो राशन खरीद सकते हैं। जो नोटिफाइड रेट हैं, उस पर राशन खरीदा जा सकता है। इस पर किसी प्रकार की आपत्ति केंद्र सरकार को या किसी को नहीं होगी। लेकिन केंद्र सरकार की योजनाओं को अपना नाम देना काफी निचले स्तर की राजनीति है।
Facebook Comments