UP: तंबाकू के अवैध व्यापार और इसके सेवन से हानि पर शोध ने बढ़ाये कदम

लखनऊ:  आज यहां गिरी विकास अध्ययन संस्थान में भारत में तम्बाकू उद्योग के अवैध व्यापार ,एवं टैक्स चोरी के मामलों पर शोध रिपोर्ट साझा की गयी एवं शोध रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य का शोध कार्य गिरि विकास अध्ययन संस्थान लखनऊ के एसोसिएट प्रोफेसर तथा पब्लिक हैल्थ रिसर्च के संयोजक डाॅ. सी. एस. वर्मा तथा रिएक्ट से विवेक अवस्थी द्वारा किया गया।
इस अवसर पर डा. सी. एस. वर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि शोध में उत्तर प्रदेश में पिछले 10  वर्षों में तम्बाकू कंपनियों द्वारा 16  मामलों में कुल 3196 .63  लाख  रूपये के टैक्स चोरी के मामलों का पता चलता है जिसमें सिगरेट, पान मसाला व अन्य तम्बाकू उत्पादों के अवैध व्यापार एवं टैक्स चोरी के मामले शामिल हैं उन्होंने कहा कि तम्बाकू क्षेत्र. की चुनौतियों के लिए सरकारी, अंतर्राष्ट्रीय एजेन्सियां, रिसर्च संस्थानों तथा विविध सोसाइटी आॅर्गनाइजेशन को एक साथ आना होगा। उन्होंने इस पर एक फैक्ट शीट भी जारी की।

शोध से जुड़ी संस्था रिएक्ट से विवेक अवस्थी ने कहा कि हमने कई सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी दस्तावेजों का अध्ययन किया है और पाया है कि वे भारत में तम्बाकू उद्योग के अवैध व्यापार में संलग्न होने के तरीकों, साथ ही साथ इसके अवैध व्यापार को भी रिकार्ड करते हैं। उन्होंने बताया कि भारत के तंबाकू उद्योग का दावा है कि उसका व्यवसाय वैध है और अवैध व्यापार बहुत कम लोगों द्वारा किया जाता है जो विदेशी ब्रांडों का व्यापार करते हैं। रिएक्ट ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी स्त्रोतों जैसे भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई), केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी), केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो (सीईआईबी), और संसद की रिपोर्ट की समीक्षा की और पाया कि प्रख्यात सिगरेट और पान मसाला कंपनियों समेत तंबाकू कंपनियाँ सरकार को धोखा देते हुए कर चोरी करती हैं। रिएक्ट की रिपोर्ट में पूरे भारत की कई केस स्टडी भी शामिल की गई हैं।

डाॅ. मंसूर अली, गिरि विकास अध्ययन संस्थान, ने कहा एक चीज स्पष्ट है किः जब सरकार कर-राजस्व से कम पैसा जुटा पाती है, तो उसके पास अपने नागरिकों और उनके स्वास्थ्य पर खर्च करने के लिए कम पैसे होते हैं। इसलिए जब अवैध तंबाकू व्यापार होता है, तो सरकारों के पास कल्याणकारी कार्यों में खर्च करने के लिए कर राजस्व कम होता है, और लोग तंबाकू का अधिक सेवन करते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य खराब होता है।

शोध रिपोर्ट के अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2009-2018 के बीच की कम से कम 108 सीएजी रिपोर्टों में यह दर्शाया गया है कि तंबाकू उद्योग कर का भुगतान करने से बचने और अवैध रूप से अपने उत्पादों को बेचने के लिए कई साधनों का प्रयोग करता है।  इन रिपोर्टों के अनुसार, तंबाकू उद्योग ने सरकार को कम से कम रु0 390.38 करोड़ का नुकसान किया है।  डीआरआई की रिपोर्टों में भी महाराष्ट्र से भारी मात्रा में पकड़ी गई अवैध सिगरेट, आंध्र प्रदेश से कर चोरी करके ले जाई जा रही सैंकड़ों टन सुपारी और बड़ी मात्रा में पान मसाला का उल्लेख किया गया है, इनमें से अधिकांश वस्तुओं की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों का इस्तेमाल करते हुए तस्करी की गई। सीबीआईसी की रिपोर्ट में भारत के व्यापक रेलवे नेटवर्क से अवैध तंबाकू के बड़े आवागमन को दर्शाया गया है। जून 2020 में, एक विशेष मिशन ऑपरेशन कर्क ने मध्यप्रदेश में 250 करोड़ रुपये के धुआँरहित तंबाकू धोखाधड़ी का खुलासा किया था। भारतीय संसद के रिकार्ड तंबाकू उद्योग का आपराधिक नेटवर्क से संबंध तथा तंबाकू उद्योग द्वारा उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क की चोरी के कम से कम 189 केस दर्शाते हैं, जो रु0 100 करोड़ के हैं, जिसमें से कम से कम 25 केस (14ः) तंबाकू कंपनियों के थे।

डाॅ. सुनील पाडेय, राज्य नोडल अधिकारी, राट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम, ने कहा ‘‘सभी प्रकार के तंबाकू मृत्यु का कारण बनते हैं, चाहे वे वैध रूप से बेचे गए हों या अवैध रूप से उनका व्यापार किया गया हो।‘‘ ‘‘अवैध तंबाकू व्यापार से तंबाकू उत्पाद संवेदनशील समूहों जैसे बच्चों, किशोरों और सुविधावंचित समुदायों के लिए सस्ते और आकर्षक हैं। बिना कर चुकाए और तस्करी किये गए तंबाकू के कारण सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। यह भी सर्वविदित है कि राज्य में अन्य गंभीर व्यसनों के लिए तंबाकू का प्रयोग एक प्रवेश द्वार है।‘‘

इस अवसर पर सतीश त्रिपाठी, राज्य सलाहकार, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम ने कहा कि तम्बाकू नियंत्रण हेतु बने कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने से अवैध व्यापार में कमी आएगी व बाजार में अवैध रूप् से उपलब्ध सस्ते तम्बाकू उत्पादों में कमी आएगी। डाॅ. विनय गुप्ता, विभागाध्यक्ष, के.जी.एम.यू. ने कहा कि तम्बाकू से सेवन से दाँतों व मुंह के कैंसर की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं तथा तम्बाकू उत्पादो के प्रभावी नियंत्रण से इसमें कमी लायी जा सकती है।

एस.पी. पाठक, राज्य सलाहकार, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम ने कहा कि तम्बाकू व अन्य व्यसनों के सेवन से मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार बुरा असर पड़ रहा है। कार्यक्रम में गिरी अध्ययन संस्थान के विद्यार्थी तथा विविध संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

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