UP: अगले तीन वर्षों में तीस गुना 900 मीट्रिक टन रेशम के उत्पादन का लक्ष्य
Date posted: 30 January 2021
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा रेशम राज्यमंत्री उदयभान सिंह ने कहा है कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल मार्ग दर्शन में रेशम सेक्टर को दिये गये विशेष प्रोत्साहन के फलस्वरूप रेशम उत्पाद आम आदमी की पहुँच में आ सका है और यह आमजन का वस्त्र भी बन गया है। वर्ष 2017 से अब तक चार वर्षों से रेशम विभाग उन्नति के शिखर को छु रहा है। उन्होंने कहा है कि पारंपरिक खेती-किसानी के साथ रेशम व्यवसाय से जुड़ने से किसानों की आमदमी में बढ़ोत्तरी होगी, वहीं इस उद्योग को गति भी मिलेगी।
श्री सिंह ने यह विचार आज गोमती नगर स्थित पर्यटन भवन में आयोजित पांच दिवसीय सिल्क एक्सपो-2021 का शुभारम्भ करने के पश्चात व्यक्त किये। इस अवसर पं0 दीनदयाल उपाध्याय रेशम पुरस्कार वितरण भी किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 300 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है। पूरे देश में प्रतिवर्ष लगभग 30 हजार मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन होता है। रेशम उत्पादन में प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र एक फीसदी है। इसको 30 फीसदी तक बढ़ाया जायेगा। अगले तीन वर्षों में तीस गुना लगभग 900 मीट्रिक टन रेशम के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन यह तभी सम्भव होगा, जब किसान सरकार की नीतियों को समझेंगे और रेशम को व्यवसाय के रूप में अपनायेगें।
निदेशक रेशम नरेन्द्र सिंह पटेल ने कहा कि पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में 308 मीट्रिक टन रेशम का उत्पादन हुआ है, जबकि खपत 3000 मीट्रिक टन की है। खपत के हिसाब से प्रदेश में मात्र 10 प्रतिशत ही रेशम उत्पादन हो रहा है। उत्तर प्रदेश के रेशम उद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के निर्देश पर रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कर्नाटक स्टेट सेरीकल्चर रिसर्च एण्ड डेवलेपमेंट इन्स्टीट्यूट, बंगलुरू के साथ समझौता किया गया है। वहां के वैज्ञानिकों से यहां अध्ययन कराया गया। जिसमें तराई एवं मैदानी क्षेत्र के 15 जनपदों को चिन्हित करते हुए रेशम उत्पादन पर फोकस किये जाने का सुझाव दिया गया है। इसकी कार्ययोजना तैयार कराई जा रही है।
श्री पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रेशम उत्पादन का कार्य 57 जिलों में किया जा रहा है। जिसमें शहतूती 44, टसर के 13 एवं एरी के 8 जनपद शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन जनपदों में 25000 कृषक परिवार इस व्यवसाय से जुड़े है। प्रदेश में रेशम कीटपालन के माध्यम से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के अन्तर्गत घरेलू परिवेश में स्वरोजगार सुलभ कराने, रेशम उद्योग का सर्वागीर्ण विकास कराने एवं जन सामान्य को शुद्ध रेशमी वस्त्रों की पहचान एवं उपलब्धता के उद्देश्य से सिल्क एक्सपो-2021 का आयोजन किया गया है।
सिल्क एक्सपो-2021 में स्वाइल टू सिल्क परिकल्पना को सरकार रूप दिये जाने के गुणवत्ता युक्त रेशम कीटपालन, कोया उत्पादन, धागाकरण की गतिविधियों को प्रदर्शित किया गया। आम जनमानस को शुद्ध सिल्क की पहचान कराने हेतु वस्त्र परीक्षण प्रयोगशाला, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वाराणासी द्वारा लाइव डिमास्ट्रेशन भी किया जा रहा है। सिल्क एक्सपो में रेशम उत्पादन की सभी विधाओं यथा रेशम कीटों के भोज्य एवं धागा उत्पादन की गतिविधियों का सजीव प्रदर्शन किया जा रहा है। सिल्क एक्सपो-2021 में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखण्ड तथा उ0प्र0 राज्यों के 29 रेशमी वस्त्र उत्पादकों एवं व्यापारियों द्वारा अपने रेशमी उत्पाद बिक्री हेतु स्टाॅल लगाये गये।
इस अवसर पर पं0 दीन दयाल रेशम उत्पादकता पुरस्कार का वितरण भी किया गया। इसके तहत रेशम कीटपालकों के मध्य प्रतिस्पर्धा जागृत किये जाने के उद्देश्य से शहतूती, टसर एवं अरण्डी क्षेत्र के 47 चयनित सर्वश्रेष्ठ रेशम कोया उत्पादकों तथा धागाकरण क्षेत्र से दो एवं बुनाई क्षेत्र से एक उद्यमी को 11 हजार रुपये की राशि, अंगवस्त्र तथा मोमेन्टो देकर सम्मानित किया गया। सर्वाेत्कृष्ट कोया उत्पादकों में शहतूती सेक्टर में वाराणासी की राबिया, टसर सेक्टर से सोनभद्र की श्रीमती मनीषा देवी एवं एरी क्षेत्र से चित्रकूट के श्री रिंकू अव्वल रहे हैं।
इस मौके पर केन्द्रीय रेशम बोर्ड के अधिकारियों सहित विभागीय कार्मिकों, कोया उत्पादकों, धागाकरण उद्यमी एवं बुनकर आदि समारोह में उपस्थित रहें।
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