उप्र में अनुपयोगी नियम तथा अधिनियम होंगे समाप्त: आलोक टंडन
Date posted: 10 September 2020

लखनऊ: प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन ने प्रदेश के सभी विभागों के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने विभाग से सम्बंधित निष्प्रयोज्य अधिनियमों व नियमों, एकीकृत होने वाले अधिनियम, संशोधित अधिनियम तथा वर्तमान में संचालित अधिनियमों व नियमों की सूची निर्धारित प्रारूप में एक सप्ताह में उपलब्ध कराएं जिससे कि इस पर विचार-विमर्श के पश्चात् नीति आयोग, भारत सरकार को प्रेषित किया जा सके। उन्होंने कहा कि लोगों पर नियमों और कानूनों का बोझ कम करने तथा उनका जीवन आसान बनाने के लिए भारत सरकार के नीति आयोग ने इसके लिए अपेक्षा की है।
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक टंडन आज यहां लोक भवन में भारत सरकार के नीति आयोग द्वारा उपलब्ध कराये गये प्रदेश के सरकारी विभागों के 659 अधिनियमों एवं नियमों की समीक्षा के लिए प्रदेश के 74 विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने बताया कि नीति आयोग की अपेक्षानुसार सरकारी विभागों के निष्प्रयोज्य अधिनियमों व नियमों को समाप्त करने तथा समान विषय से सम्बंधित अधिनियमों व नियमों को एकीकृत करने तथा जो लोगों के अनुकूल हो उन अधिनियमों को संचालित करने के सम्बंध में विचार-विमर्श किया गया।
उन्होंने बताया कि समीक्षा के दौरान पाया गया कि कुछ नियम ब्रिटिश कालीन व बहुत पुराने हैं जिनका आज के परिप्रेक्ष्य में कोई उपयोग नहीं है। ऐसे अनुपयोगी नियमों की सूची विचार-विमर्श के बाद नीति आयोग को प्रेषित की जायेगी।
श्री टंडन ने निर्देश दिये कि सभी विभाग अपने यहां के इन नियमों पर समय से विचार-विमर्श कर लें जिससे कि अब अनुपयोगी कानूनों को ढोया जा सके, जो नियम व कानून लोगों की बेहतरी के लिए बहुत आवश्यक हो, उसी को ही लागू किया जा सके। श्री टंडन ने आज 5 चरणों में 74 विभागों के इन 659 अधिनियमों एवं नियमों की विभागवार समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि समीक्षा के दौरान कोई नियम या अधिनियम छूट गया हो तो दिये गये प्रारूप में उसका भी उल्लेख किया जाय।
बैठक में अपर मुख्य सचिव औद्योगिक विकास आलोक कुमार के साथ सभी विभागों के उच्चाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
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