उत्तर प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग को किया प्रताड़ित: अरुण श्रीवास्तव

लखनऊ:  प्रदेश सरकार के साढे़ 4 वर्ष के कार्यकाल में किसान,गरीब,युवा तथा महिलाओं पर निरंतर अत्याचार हुआ है।इस सरकार में बेरोजगारी,मंहग़ाई और नफरत बढ़ी हैं।लेकिन फिर सरकार अपनी वा वाही लूटने के लिए जनता में अपना रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत कर रहे है।यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है की वर्तमान सरकार इतने सालों में भी अपने किसी भी वादे को निभाने में विफल रही है।यह कहना है पीस पार्टी के प्रदेश महासचिव अरुण श्रीवास्तव का। वही वर्तमान मुख्यमंत्री का कहना है कि इन साढे़ 4 सालों में प्रदेश में कहीं भी दंगे नहीं हुए हैं, यह सही है कि दंगे नहीं हुए हैं क्योंकि दंगे में तो दोनों पक्षों के लोग प्रभावित होते हैं।

लेकिन इस सरकार में तो केवल अल्पसंख्यक वर्ग ही पीड़ित और प्रताड़ित किया जा रहा है।मॉब लिंचिंग और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हुई है।सबसे बड़ी बात यह कि जब दंगा फैलाने वाले लोग स्वंय सत्ता में बैठे हों तो फिर दंगे कैसे हो सकते हैं ? एक कहावत है कि जब चोर को रखवाली दे दी जाती है तो फिर वहां चोरी रुकती नहीं लेकिन चोरी में कमी आ जाती  है ,वही हाल वर्तमान सरकार का है। वर्तमान सरकार ने साढे़ चार लाख सरकारी नौकरियां देने का दावा पेश किया है और बड़ी औद्योगिक इकाइयों में तीन लाख रोजगार तथा गरीबों और ग्रामीणों को आवास और रोजगार देने का रिपोर्ट कार्ड समाचार पत्रों के माध्यम से जनता में पेश किया है जो मात्र एक छलावा है। वास्तविकता यह है कि नौजवान बेरोजगार हैं और नौकरियों के लिए मारे मारे फिर रहे हैं ।मुख्यमंत्री केवल आत्ममुग्ध होकर के कथित रूप से नौकरियों का तोहफा नौजवानों को दे रहे हैं यह कहा जा रहा है कि तीन लाख करोड़ की निवेश परियोजना यूपी में शुरू हो चुकी हैं और 56000 करोड़ों का विदेशी निवेश कोरोनावायरस कालखंड में आया है तो वह गया कहां? मुख्यमंत्री महोदय यह बताने में असमर्थ हैं कि वह परियोजनाएं कहां लगाई गई हैं और वह निवेश किस परियोजना पर किया गया है।
वास्तविकता यह है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में हर मोर्चे पर विफल रही है और केवल आत्ममुग्ध होकर के बयान बाजी की जा रही है।जमीन पर इनकी घोषणाओं का कहीं अता पता नहीं है।यह केवल चुनाव से पहले का इनका डर बोल रहा है क्योंकि इनको पता है कि 2022 में भारतीय जनता पार्टी का शायद खाता भी जनता न खोलने देगी, जो परियोजनाएं पहले से चल रही थीं उन्हीं परियोजनाओं का या तो नाम बदल दिया गया है अथवा जिन परियोजनाओं का उद्घाटन हो चुका है उनका कथित रूप से दोबारा उद्घाटन करके अपना नाम बताया जा रहा है।
आने वाले चुनाव में जनता इनके रिपोर्ट कार्ड को देख कर के नहीं बल्कि जनता कितनी त्रस्त है और भ्रष्टाचार कितने चरम पर है इसको देख कर के अपने आप इनके रिपोर्ट कार्ड का फैसला करेगी।पीस पार्टी यूपी सरकार के साढे़ चार साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड को एक विफल और आत्ममुग्ध सरकार का रिपोर्ट कार्ड मानती है और यह आशा करती है कि 2022 के आगामी चुनाव में इसका फल भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा।

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