विलायती मुर्गी देसी बोल, देखो पिटे झूठ का ढोल.. तेजस्वी ने गरीबो का मजाक उड़ाया

बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा कि गांव में एक कहावत बड़ा ही प्रचलित है देसी मुर्गी विलायती बोल.. लेकिन तेजस्वी यादव के संदर्भ में यह कहावत उल्टा है.. उनके लिए यह कहावत – विलायती मुर्गी देसी बोल, देखो पिटे झूठ का ढोल… तेजस्वी यादव जिस तरह से तारापुर में जाकर ड्रामेबाजी कर रहे हैं उससे साफ पता चलता है कि वह अपनी खिसकी हुई राजनीतिक जमीन को तलाश रहे है। जो व्यक्ति AC गाड़ी से नीचे नहीं उतरता हो,जो व्यक्ति मिनरल वाटर से नहाता हो, जो व्यक्ति आम लोगो से सीधे मुंह बात ना करता हो, वह आज इस तरह के ड्रामे करके गरीब बिहारियों का मजाक उड़ा रहा है।

कभी भी डिजाइनर कपड़े पहन के किसानी नहीं हो सकती है। शॉर्ट कुर्ता और पजामा पहन कर मछली नहीं मारा जा सकता है। मछली मारने के लिए कीचड़ में उतरना पड़ता है और इस सुशासन की सरकार में बंसी से मछली नहीं मारी जाती है। अब बिहार में जाल से मछली पकड़ी जाती है। तेजस्वी यादव तो इसके खुद भुक्तभोगी हैं कि कभी उनके पिता राज्य की बड़ी मछली हुआ करते थे। लेकिन सुशासन और कानून का जाल इतना बड़ा निकला कि वो उसमे फंसे ही नही, उनको छटपटा कर जेल जाना ही पड़ा।
सफेद कपड़े में जिस तरह से तेजस्वी यादव खेतों में ड्रामेबाजी कर रहे हैं और मछली मारने का नाटक कर रहे हैं। इससे साफ होता है कि इन्होंने ना कभी किसानी की है और न कभी मछली मारा है। फोटो खिंचवाने के लिए महज कुछ देर के लिए यह खेतों में और तालाब के किनारे गए थे। तेजस्वी यादव जी, फेसबुक-ट्विटर-इंस्टाग्राम पर यह तस्वीरें बहुत अच्छी लगती हैं। लेकिन, जनता हकीकत में काम ढूंढती है। विकास देखती है। सुशासन की सरकार को देखती है। जिस तरह से आपके माता-पिता के राज में बिहार गर्त में चला गया था, लोग सड़क पर मछली मारते थे, किसानों का खेत रक्तरंजित हो गया था, आज सुशासन की सरकार का ही देन है कि लोग तालाब में मछली मारते हैं, मछली पालन करते हैं और मुनाफा कमा रहे है। आज बिहार की सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने का जो संकल्प लिया है। आज की तारीख में खेतों पर किसान अमन चैन के साथ काम करते है। आपके इस ड्रामेबाजी  के झांसे में बिहार की जनता नहीं आने वाली है।

Facebook Comments