प्रदूषण के नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार की घोषणाएं कब उतरेंगी जमीन पर?
Date posted: 11 November 2020
नई दिल्ली: दिल्ली पर छाई धुंध की चादर और प्रदूषण ने दिल्लीवासियों का सांस लेना दूभर कर दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रदूषण नियंत्रण के लिए कार्य करने की बजाय ट्विटर पर प्रदूषण नियंत्रण के नुस्खे दे रहे हैं। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री जमीन पर कार्य करने के लिए न जान किस मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?
आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जहरीले गैस का चैंबर बनती जा रही है और पीने के लिए भी जहरीला पानी मिल रहा है लेकिन इस समस्या का हल निकालने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास बिल्कुल ही समय नहीं है, क्योंकि वह जिम्मेदारियों से भागने के उपाय ढूंढने में व्यस्त हैं। उन्होंने कहा कि 2018 से लेकर 2020, 2 साल का समय मुख्यमंत्री केजरीवाल के पास काफी था ग्रीन बजट की 26 प्रमुख वादों को जमीन पर उतारने का लेकिन न तो एंटी-स्मॉग टावर दिखे, न ही सड़क पर इलेक्ट्रिक बस, न ही दो करोड़ पेड़ लगाए गए, बस चैक-चैराहों पर मुख्यमंत्री केजरीवाल की चमकती हुई फोटो के साथ होर्डिंग ही दिखे। जबकि 2017 में केंद्र सरकार में इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की अनुमति दे दी थी, और एंटी स्मॉग टावर नहीं लगाने के लिए दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से दो बार फटकार लग चुकी है लेकिन फिर भी दिल्ली सरकार नहीं सुधरी।
आदेश गुप्ता ने कहा कि पिछले साल यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ने पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 14 नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगवाने का वादा किया था लेकिन वो भी नहीं लगाए। जो 11 एसटीपी प्लांट पहले से लगे हैं उसमें से 9 प्लांट को दिल्ली सरकार ने निजी कंपनियों को सौंप दिया है, वहीं पिछले 6 वर्षों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का रखरखाव नहीं किया गया। 7300 करोड़ रुपए का सालाना बजट होने के बाद भी दिल्ली सरकार ने लगभग 40,000 करोड़ रुपए का लोन दिल्ली जल बोर्ड को दिया और बिना बजट के 11000 करोड़ रुपए भी दिए और सारे पैसे प्रचार में खर्च कर दिए। साफ पानी सप्लाई करने की बजाए दिल्ली जल बोर्ड ने लोगों को जहरीला पानी पीने के लिए मजबूर कर दिया है। पहले कोरोना संकट, फिर वायु प्रदूषण और अब जल प्रदूषण से भी दिल्लीवासी त्रस्त हो गए हैं। अब दिल्ली सरकार इंजन ऑफ, पोलूशन साफ योजना के नाम पर करोड़ों रुपए अपने कार्यकर्ताओं के बीच बांट रही है। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएं कि इस योजना से कितना प्रदूषण कम हुआ है?
आदेश गुप्ता ने कहा कि तीनों नगर निगम में इन दिनों निगम पार्षद विशेष स्वच्छता अभियान चला रहे हैं और साफ-सफाई करवाने के लिए दिन रात सड़कों पर है लेकिन केजरीवाल सरकार उन सफाई सैनिकों को वेतन भी नहीं दे रही है। निगम का बकाया 13000 करोड़ रुपए जो विधानसभा में दिल्ली सरकार ने पास किया था वह भी जारी नहीं कर रही है। एक ओर दिल्ली सरकार ने पेड़ों को जीवित रखने के लिए पार्कों में लगाए गए बोरवेल को बंद कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपने क्षेत्र में स्विमिंग पूल बनवा रहे हैं। क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल बताएंगे कि बढ़ते प्रदूषण के समय में पेड़ों में पानी डालना जरूरी है या स्विमिंग पूल बनवाना?
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