केजरीवाल सरकार नगर निगम का 18 हजार करोड़ का बकाया क्यों नहीं देती: गुप्ता

नई दिल्ली:  दिल्ली जल बोर्ड को निजी कंपनियों के हाथों में देने की साजिश कर रही केजरीवाल सरकार पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने पहले तो अपने नाकामियों के चलते दिल्ली जल बोर्ड की ऐसी हालत की और अब आर्थिक घाटा दिखाकर दिल्ली जल बोर्ड को निजी कंपनियों के हाथों में देने पर तुली हुई है।

यही वजह है कि कभी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं तो कभी उनके मंत्री मीडिया के सामने आकर दलीलें दे रहे हैं। पूरी दिल्ली में पाइपलाइन बिछाने के अपने वादे को केजरीवाल सरकार 6 सालों में भी पूरा नहीं कर पाई और न ही दिल्ली वालों को साफ पानी मिल पा रहा है। केजरीवाल सरकार ने 6 सालों में सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें ही की हैं एक काम तक नहीं किया।
श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार के आने से पहले दिल्ली जल बोर्ड लगभग 176 करोड़ रुपए के मुनाफे में था और केजरीवाल सरकार आने के बाद लगभग 800 करोड़ रुपए के घाटे में आ गया है। केजरीवाल सरकार ने टैंकर माफिया को खत्म करने की बात कही थी, लेकिन टैंकर माफिया तो खत्म नहीं हो पाए, उलटा केजरीवाल सरकार के ही विधायक दिल्ली जल बोर्ड में टैंकर लगवाने के नाम पर करोड़ों के घोटाले में संलिप्त पाए गए। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड को कंगाल करके रख दिया है और अब इस बहाने निजी कंपनियों के साथ मिलकर दिल्ली जल बोर्ड का निजीकरण करने की साजिश कर रही है।
श्री गुप्ता ने बताया कि केजरीवाल सरकार पर नगर निगम का करोड़ों रुपए बकाया है, लेकिन केजरीवाल सरकार उस बकाया का भुगतान करने का नाम नहीं ले रही है, जिस वजह से निगमों की आर्थिक हालत खराब होती जा रही है, लेकिन केजरीवाल सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। नगर निगम चुनाव में करारी हार का बदला केजरीवाल सरकार जिस तरह ले रही है, उससे साफ होता है कि केजरीवाल सरकार के लिए दिल्ली की जनता से बढ़कर राजनैतिक द्वेष मायने रखता है।
श्री गुप्ता ने कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते 6 सालों से दिल्ली सरकार ने न तो दिल्ली नगर निगमों को उनके बजट में आवंटित पूरा फंड दिया है और जो फंड दिया जाता है वह भी समय पर नहीं दिया जा रहा है। इस सबका नतीजा है कि दिल्ली सरकार को तीनों नगर निगमों का 31 मार्च 2020 तक लगभग 18,000 करोड़ रुपए बकाया देना है। साथ ही वर्तमान 2020-21 वर्ष का आधा वित्त वर्ष बीतने के बाद भी कुल फंड का 25 प्रतिशत भी नहीं दिया गया है।

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