केजरीवाल सरकार का राजनैतिक द्वेष के कारण नगर निगमों से अमानवीय व्यवहार क्यों?
Date posted: 2 June 2021
नई दिल्ली: दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार इस कोशिश में रही है कि कैसे भी करके निगम को पंगु बनाया जाए। निगम को बदनाम करने के लिए केजरीवाल सरकार ने वे सभी हथकंडे अपनाए जो उसके वश में था जैसे निगमों की बजट को रोकना ताकि किसी भी कर्मचारी को वेतन न मिल सके और कर्मचारी काम पर न आयें, निगम के वैक्सीनेशन सेंटर को बंद करना और निगम के अस्पतालों से भेदभाव करना ताकि दिल्लीवालों के सामने अपने दोष का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा जाए।
यही नहीं अब तो निगम के कोरोना वारियर्स के साथ भी मुआवजे के नाम पर भेदभाव किया जा रहा है। पिछले 7 सालों से दिल्ली सरकार का अपना बजट प्रति साल बढ़ता चला गया, लेकिन निगम के बजट को घटाकर केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्लीवालों के अंदर निगम के प्रति नफरत फैलाने की कोशिश की गई। केजरीवाल के आपराधिक प्रयास के बावजूद निगम ने अभाव में रहते हुए भी अपने कार्यकाल में प्रभावी काम किया है।
प्रदेश कार्यालय में आज केजरीवाल सरकार द्वारा राजनीतिक द्वेष के कारण निगमों को आर्थिक रूप से पंगु बनाने के प्रयासों का पर्दाफाश करने के लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी और भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मोहन लाल गिहारा उपस्थित थे।
आदेश गुप्ता ने कहा कि नगर निगम किसी भी शहर के जीवन की लाइफ-लाइन होता है, क्योंकि इसके अंतर्गत सफाई सैनिटेशन, प्राइमरी शिक्षा, प्राइमरी स्वास्थ्य, बाग-बगीचों के रखरखाव, कॉलोनी की सडकों के रखरखाव, व्यापारिक लाइसेंसों से लेकर जन्म-मृत्यु सेवाएं तक आती हैं और दिल्ली में इनका क्या महत्व है उसका प्रमाण है कि यहाँ तो निगम 8 अस्पताल भी चलाते हैं जिनमे से 6 ने वर्तमान कोविड संकट में भी विशेष योगदान दे रहे है। कुछ वर्ष पूर्व तक नगर निगमों के माध्यम से समाज के विभिन्न असहाय लोगों को पेंशन भी दी जाती थी पर इसे अब केजरीवाल सरकार ने बंद करवा दिया है। उन्होने कहा कि निगम के बटवारे के बाद उनकी आर्थिक स्थित मे सुधार के लिए दिल्ली सरकार की ओर से जो मदद मिलती चाहिए थी नही मिल पाई। 2015 में अपने गठन के समय से ही केजरीवाल सरकार निगमों के प्रति राजनीतिक द्वेष बनाये हुए है और निगमों को आर्थिक रूप से पंगु करने में जुठी है। पिछले 7 सालों में दिल्ली सरकार का बजट जहां 37450 करोड़ रुपये से बढ़कर 69000 करोड़ रुपये हो गया, वही निगमो के पिछले वर्ष के 6828 करोड़ रुपये के प्रावधान की भी इस बार कम कर 6172 करोड़ रुपये कर दिया गया। तीसरे दिल्ली वित्त आयोग के अनुसार दिल्ली सरकार टैक्स का 16.50 प्रतिशत शेयर निगम को दे रही थी लेकिन अब पांचवे दिल्ली वित्त आयोग में इसे घटाकर 12.50 प्रतिशत कर दिया है।
श्री गुप्ता ने कहा कि 2015 से ही केजरीवाल सरकार निगमों के फंड का उपयोग भाजपा शासित नगर निगमों को राजनीतिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए कर रही है। निगम फंड समय पर न देना और कर्मचारियों को भड़काना यह रोज का हो चुका है। 2017 के निगम चुनाव से पहले ही केजरीवाल सरकार ने निगमों को पंगु बनाना शुरू कर दिया पर दिल्ली की जनता ने एक बार फिर भाजपा को ही निगम प्रशासन के लिये चुना। इसके बाद से तो मानो अरविंद केजरीवाल सरकार ने निगमों को विफल करने के लिये कमर कस ली और 2020-21 के आते आते यह स्थिति यह बन गई कि महापौरों को धरने देने पड़ेऔर मामला फिर न्यायलय पहुंचा । भाजपा को निगमों के बकाया 13000 करोड़ रुपये के लिये जनजागरण अभियान चलाना पड़ा। तब कहीं नगर निगमों के बकाया राशि में कुछ आंशिक पैसा ही सरकार ने जारी किया।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राजनीतिक द्वेष की बात साधारणतः तो समझ आती थी पर गत एक वर्ष से चल रहे कोविडकाल में केजरीवाल सरकार का निगमों के प्रतिद्वेष समझ से परे है। उन्होंने कहा कि मार्च 2020 से प्रारम्भ कोविडकाल में नगर निगमों के सफाई कर्मियों, डॉक्टर एवं शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सफाई कर्मियों ने सामान्य स्वच्छता कार्य के साथ ही कोविड मरीजों के घरों से बाओजैविक कूड़ा भी उठाया है। वहीं शिक्षकों ने कोविडकाल में राशन वितरण से लेकर कोविड काउंसलिंग तक का कार्य किया। इस कार्य में गत वर्ष से अब तक लगभग 111 निगम कर्मी अपने प्राण खो चुके हैं। जिसमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 57, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में 38 और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 16 कोरोना योद्धाओं ने अपनी जान गवाई। इनमें डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, शिक्षक, सफाई कर्मचारी और अन्य विभाग के निगम कर्मचारी शामिल है। पर बेहद दुखद है कि केजरीवाल सरकार ने इन्हें कोविड वारियर्स मानने से इंकार करते हुए मृत कर्मियों को मुआवजा देने से भी मना कर दिया। अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार के कर्मचारियों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा और निगम के कोरोना योद्धाओं के मृत्यु पर राजनीति कर रहे हैं। ऐसे घृणित काम के लिए केजरीवाल को दिल्ली की जनता से माफी मांगी चाहिए और निगम के कोरोना योद्धाओं के मुआवजे जल्द से जल्द देना चाहिए। समझ से परे है कि केजरीवाल सरकार ऐसी ओछी राजनीति क्यों खेल रही है ?
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार से नगर निगमों को जो पैसा मिलता है वह उनका संवैधानिक अधिकार है। इसमे से अधिकांश पैसा असल में दिल्ली सरकार को केन्द्र सरकार से मिलता है और उसे सिर्फ आगे देना होता है पर राजनीतिक द्वेष के चलते अरविंद केजरीवाल सरकार नगर निगमों को उनके संवैधानिक अधिकार से वंचित किये हुऐ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों अनुसार फंड नगर निगमों को देना होता है पर केजरीवाल सरकार लगातार सात साल से इस नियम की उपेक्षा कर रही है। आज जब निगमों को छठे दिल्ली वित्त आयोग अनुसार पैसा मिलना चाहिए जो कि कभी नही दिया गया। अगर यह सिफारिशें लागू हो जाती तो तीनों निगम आर्थिक रूप से सक्षम हो जाते पर यह केजरीवाल सरकार को मंजूर नहीं था।
वर्ष 2019-20 में निगम कर्मियों के वेतन भत्ते तो पे कमीशन की सिफारिश पर बढ़ कर डेढ़ गुणा हो गये और शहर के रखरखाव के खर्चे भी बढ़ गये पर निगमों को दिल्ली सरकार से पैसा तीसरे वित्त आयोग के अनुसार मिलता रहा, वह भी ना कभी समय पर मिला और हमेशा किसी बहाने से काट पीट कर मिला। 2019 आते-आते तो 5वें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशें भी आ गई पर फिर भी निगमों को पैसा तीसरे वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर मिलता रहा। इसके लिए केजरीवाल सरकार जवाबदेह है कि उसने नगर निगमों को संवैधानिक फंडों से क्यों वंचित किया है ?
रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि कोविडकाल में दिल्ली सरकार ने निगम अस्पतालों एवं कर्मियों को कोई मदद नहीं की। नगर निगमों के पास 8 अस्पताल हैं जिनमें से 6 को उन्होंने गत वर्ष कोविड सेवा में लगाया था, इसके आलावा अनेक कोविड केयर सेन्टर भी चलाये थे पर इस वर्ष कोविड संकट फिर आने पर जब नगर निगमों ने फिर अपनी सेवाऐं अर्पित की तो उन्हें स्वीकारने में केजरीवाल सरकार ने बहुमूल्य समय बर्बाद किया और निगम अस्पताल विलम्ब से सेवा में लग पाये। अगर निगम अस्पतालों को समय से सेवा देने का आदेश मिला होता तो दिल्ली की हजारों जानों को बचाया जा सकता था। नगर निगम 200 से अधिक केंद्रों पर टीकाकरण का कार्य कर रहा था और लगभग 10 लाख लोगों को टीके लगाए। लेकिन निजी अस्पतालों से सांठ-गांठ कर केजरीवाल सरकार ने पहले निगमों के द्वारा स्थापित कोविड वैक्सीनेशन सेन्टरों को बंद करवा दिया। जिससे परेशान होकर लोग निजी अस्पतालों में पैसे देकर टीका लगवाने पर मजबूर हो गए। दिल्ली सरकार अगर समय रहते वैक्सीन खरीद कर निगम के सेंटरों पर देती तो आज लोगों को निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ता और हर व्यक्ति को मुफ्त में वैक्सीन लग जाती। श्री बिधूड़ी ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने आश्वासन देने के बावजूद भी निगम अस्पतालों को कोविड बचाव के लिए जरूरी पी.पी.ई. किट, ऑक्सीजन, मास्क, सर्जिकल मास्क, ग्लब्स और अन्य चिकित्सा उपकरण तक उपलब्ध नही करवाई।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि नगर निगम वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों एवं विधवाओं को पेंशन देते थे जो उनके जीवन में एक सहारा होती थी। अरविंद केजरीवाल ने सत्ता संभालने के बाद 2 लाख लोग मिल रही सहयता पेंशनों रोक लगा दी गई। केजरीवाल सरकार ने इस पेंशन को रोकने के बाद कहा कि इनकी पेंशन की व्यवस्था अब राज्य सरकार करेगी लेकिन केजरीवाल सरकार ने इन असहाय लोगों को कोई वैकल्पिक सहयता भी नहीं दी। कोरोना काल में जब केंद्र की मोदी सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज पहुंचा रही है उसे भी पूरी तरह बांटा नही जा रहा। उन्होंने कहा यह बेहद दुखद है, यह शर्म की बात है कि जब अरविंद केजरीवाल की जरूरत सबसे ज्यादा दिल्ली की जनता को थी उस वक्त उन्होंने अपने हाथ खड़े कर लिए और ना ही कोई आर्थिक मदद की और ना ही कोई अन्य सहायता। इसलिए हमारी केजरीवाल सरकार से मांग है कि कोरोना काल में ऐसे लोग जो वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग और विधवा नागरिकों को तुरंत पेंशन जारी करें।
भाजपा नेताओं ने अरविंद केजरीवाल सरकार के समक्ष पांच प्रश्न रखे:
1. राजनीतिक द्वेष के कारण केजरीवाल सरकार नगर निगमों को आर्थिक रूप से अपंग क्यों बनाना चाहती है?
2. नगर निगमों के कोरोना योद्धाओं की मृत्यु पर भेदभाव क्यों कर रही है केजरीवल सरकार?
3. दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिश को नजरंदाज एवं लागू न करके नगर निगमों का गला क्यों घोंट दिया?
4. दिल्ली सरकार ने कोरोना के समय में भी नगर निगमों के अस्पतालों की मदद क्यों नहीं की ? नगर निगमों के कोविड केयर सेंटर को इजाजत देने में देर क्यों की ? निजी अस्पताल से सांठ-गांठ के कारण टीकाकरण अभियान में भी नगर निगमों के अस्पतालों से भेदभाव पूर्ण रवैया क्यों रखा?
5. कोरोना के संकट के समय जब वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों एवं विधवाओं को पेंशन की सख्त जरूरत थी तब केजरीवाल सरकार ने नगर निगमों से रिकॉर्ड लेने के बावजूद भी जरूरतमंद लोगों को पेंशन क्यों नहीं दी?
Facebook Comments