आज के समकालीन भारतीय दर्शन की संस्कृति को समझने के लिए दर्शन को समझना आवश्यक है
Date posted: 15 January 2019
पटना, 11 जनवरी 2019 आज के समकालीन भारतीय दर्शन की संस्कृति को समझने के लिए दर्शन को समझना आवश्यक है। विवेकानन्द, राजाराम मोहन राय एवं महात्मा गाॅधी ने इस धरती से विश्व धर्म की बात कही। उनका मानना था कि हर धर्म की अच्छाइयों को लेकर जैसे हिन्दू धर्म की शुद्धता, इसाई धर्म की सेवा भावना तथा मुसलिम धर्म के भाईचारे को स्वीकर करने की आवश्यकता है तभी मानवता को शांति प्राप्त हो सकती है। इस दिशा में भारत विश्व में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। ये बातें आज टी.पी.एस. काॅलेज के स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा ‘भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली’ के सहयोग से आयोजित व्याख्यानमाला में स्वातंत्रोत्तर भारतीय दर्शन विषय पर बोलते हुए महान गाॅधीवादी एवं पूर्व कुलपति प्रो. रामजी सिंह ने कही। संस्कृति को समझने के लिए दर्शन को समझना होगा। पश्चिम के द्वारा भी भारतीय वेद, उपनिषद की प्रशंसा की गई। संस्कृत ने उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ा। प्रो. सिंह ने कहा कि वंदे मातरम गीत नहीं ब्लकि भारतीय दर्शन की नीव है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण से ही समकालीन भारत में राष्ट्रीयता का उदय होगा।
व्याख्यानमाला का उद्घाटन करते हुए पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गुलाब चंद राम जायसवाल ने कहा कि मानव जीवन में दर्शन का बड़ा महत्व है। यह मनुष्य में चितंन-मनन की आदत को बढ़ावा देता है और अपनी संस्कृति एवं संस्कार से परिचित कराता है।
‘वैश्वीकरण की नैतिकता’ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए पटना विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य प्रो. आई.एन.सिंहा ने कहा कि कानून समाज को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ है लेकिन नैतिकता इसे बखूबी कर सकती है। व्यक्ति के अंदर नैतिक मूल्यों को विकसित करके वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
पटना विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्षा प्रो. पूनम ने ‘आलोचनात्मक चिंतन एवं दर्शन’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि दर्शन में आलोचनात्मक चिंतन को बढ़ावा देना आज के समय की बड़ी जरूरत है क्योंकि आलोचनात्मक चिंतन सकारात्मक सोच का परिचय होता है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रति-कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चैधरी ने कहा कि गाॅधी तो दर्शन के विद्यार्थी नहीं रहे पर आज पूरी दुनिया उनके दर्शन पर चलने को बाध्य है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद ंिसंह ने कहा कि दर्शन को अपना कर ही हम जीवन में समग्र विकास कर सकते हैं। उन्होंने ऐसे आयोजन पर बल दिया जिससे छात्रों का नेैतिक विकास हो। विषय प्रर्वतन एवं मंच संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र के प्रो. श्यामल किशोर ने कहा कि भारतीय दर्शन अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली को हम व्याख्यानमाला के आयोजन हेतु सहयोग देने के लिए धन्यवाद करते हैं। आज तीन महत्वपूर्ण विषय पर व्याख्यान आयोजन से दर्शन के क्षेत्र में छात्रों का ज्ञानवर्धन हुआ है। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रूपम ने किया। इस अवसर पर बी.डी.काॅलेज, पटना के प्रधानाचार्य प्रो. संजय कुमार, काॅलेज, आॅफ कामर्स आर्टस एण्ड र्साइंस के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडिल्य, प्रो. वी.एन.ओझा, प्रो. शैलेश कुमार सिंह, प्रो. वीणा अमृत, प्रो. अमिता जायसवाल, प्रो. छोटे लाल खत्री, प्रो. तनुजा, प्रो. अबू बकर रिजवी, प्रो. कृष्णन्दन प्रसाद, प्रो. रामदास प्रसाद के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएॅ एवं शोधार्थी मौजूद थे।
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