सुप्रीम कोर्ट व देश के तमाम हाईकोर्ट संविधान के सुरक्षा कवच

नई दिल्ली :  एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा कि सुप्रीम कोर्ट जनहित से जुड़े मामलों में देश के उच्च न्यायालयों को स्वतंत्र रहने दें। शांडिल्य ने आज अपने निवास पर चीफ जस्टिस को भेजे पत्र की प्रति जारी की और कहा कि कोविड महामारी के दौरान इलाहबाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर फैसला करते हुए टिप्पणी की थी कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं राम भरोसे है जिस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आई ।

शांडिल्य ने कहा कि उन्होेंने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए कई जनहित याचिकाएं पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की जिस पर अहम फैसले आए। एंटी टैरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व देश के तमाम हाईकोर्ट संविधान के सुरक्षा कवच हैं। सुप्रीम कोर्ट इलाहबाद हाईकोर्ट की राम भरोसे वाली टिप्पणी पर देश के हाईकोर्टों के लिए कोई ऐसी गाईड लाइन या कोई फैसला ना कर दे जो देश की जनता के लिए नुक्सानदायक हो। उन्होंने कहा कि जनहित मामलों में सुप्रीम कोर्ट देश के तमाम हाईकोर्टों को स्वतंत्र रहने दे।
अगर जनहित मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट देश के हाई कोर्ट के लिए कोई लक्ष्मण रेखा निर्धारित करेगी तो इससे सरकारों व प्रशासन को बल मिलेगा। संविधान में जनहित याचिका का प्रावधान शिक्षविदों ने सोचकर किया होगा । हां अगर कोई जनहित याचिका किसी द्वेष भावना में डाली जा रही है उस पर हाईकोर्ट संज्ञान ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र में वीरेश शांडिल्य ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस से प्रार्थना की कि उनके पत्र पर स्वत: संज्ञान लेते हुए उन्हें व्यक्तिगत सुने। उनका उद्देश्य जनहित को मजबूत करना है । यदि कहीं सरकार नहीं सुनती और मामला हजारों लोगों से जुड़ा होता है तो उस पर जनहित याचिका ही जस्टिस प्राप्त करने का रास्ता है ।
बता दें इलाहाबाद के फैंसले पर सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायधीश विनीत सरन व दिनेश महेश्वरी की पीठ ने हाई कोर्ट पर लक्ष्मण रेखा लगाने की बात कहीं थी जिसपर वीरेश शांडिल्य ने इस बारे चीफ जस्टिस को पत्र लिखा ।

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